यही संतमत की विशेष बात है | Yahi Santmat ki vishesh baat hai | Maharshi Mehi Paramhans Ji Maharaj | Santmat Satsang |

यही संतमत की विशेष बात है।
एक संत की वाणी पढ़कर जितना लाभ, उतना लाभ अन्य संतों की वाणी पढ़ने से भी होता है। सबमें एक ही बात जान पड़ती है, यही संतमत की विशेष बात है। सब संतों का आदर और सब सद्ग्रन्थों का आदर बहुत अच्छा लगता है। 
जो सत्संग करें, वे सभी सत्संगी, कोई गैर सत्संगी नहीं। मनुष्य की हैसियत से हम सभी भाई-भाई हैं। यहाँ हमलोग सभी सत्संगी हैं। भले कोई भेद जानते हैं और कोई नहीं जानते हैं। 
ईश्वर सत्य है और सब उसकी माया है। दिखावटी हो, असलियत नहीं, यह माया है। जबतक ईश्वर को पाया नहीं, माया सत्य मालूम पड़ती है। ईश्वर सत्य है। माया को पार नहीं करने के कारण हम माया में फँसे रहते हैं। उसके पार होने के लिए चिन्ह चाहिए। ईश्वर-निर्मित और नर-निर्मित चिन्ह होते हैं। जो चिन्ह ईश्वर से निर्मित है, वह श्रेष्ठ है। ईश्वर-निर्मित चिन्ह के आधार से भक्ति करें। ईश्वर-निर्मित चिन्ह ज्योति और शब्द हैं। ये दोनों नर निर्मित नहीं, ईश्वर-निर्मित हैं। सूर्य में से ज्योति निकाल लीजिए तो कुछ नहीं देखेंगे। ऐश्वर्यवान विभूति संसार में सूर्य है, यह प्रत्यक्ष है। इससे ज्योति निकल जाय तो कुछ नहीं बचेगा। इसलिए ज्योति ही सार है। -संत सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज 
प्रेषक: शिवेन्द्र कुमार मेहता, गुरुग्राम

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