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🌼दान का महत्व🌼 Daan ka mahatva | एक बहुत प्रसिद्ध संत थे, जिन्होंने समाज कल्याण के लिए एक मिशन..... दान का स्वरूप दिखावा नहीं ....

🌼दान का महत्व🌼
एक बहुत प्रसिद्ध संत थे, जिन्होंने समाज कल्याण के लिए एक मिशन शुरू किया। जिसे आगे बढ़ाने के लिए उन्हें तन-मन-धन तीनों की ही आवश्यक्ता थी। इस कार्य में उनके शिष्यों ने तन-मन से भाग लिया और इन कार्य-कर्ताओं ने धन के लिए दानियों को खोजना शुरू किया।

एक दिन, एक शिष्य कलकत्ता पहुँचा। जहाँ उसने एक दानवीर सेठ का नाम सुना। यह जान कर उस शिष्य ने सोचा कि इन्हें गुरूजी से मिलवाना चाहिए, हो सकता है यह हमारे समाज कल्याण के कार्य में दान दे।

इस कारण शिष्य सेठ जी को गुरु जी से मिलवाने ले गए। गुरूजी से मिल कर सेठ जी ने कहा- हे महंत जी आपके इस समाज कल्याण में, मैं अपना योगदान देना चाहता हूँ, पर मेरी एक मंशा हैं जो आपको स्वीकार करनी होगी। आपके इस कार्य के लिए मैं भवन निर्माण करवाना चाहता हूँ और प्रत्येक कमरे के आगे मैं अपने परिजनों का नाम लिखवाना चाहता हूँ। इस हेतु मैं दान की राशि एवम् नामों की सूचि साथ लाया हूँ; और यह कह कर सेठ जी दान गुरु जी के सामने रख देते हैं।

गुरु जी थोड़े तीखे स्वर में दान वापस लौटा देते हैं; और अपने शिष्य को डाँटते हुए कहते हैं कि हे अज्ञानी तुम किसे साथ ले आये हो, ये तो अपनों के नाम का कब्रिस्तान बनाना चाहता है। इन्हें तो दान और मेरे मिशन दोनों का ही महत्व समझ नहीं आया है।

यह देख सेठ जी हैरान थे, क्यूंकि उन्हें इस तरह से दान लौटा देने वाले संत नहीं मिले थे। इस घटना से सेठ जी को दान का महत्व समझ आया कुछ दिनों बाद आश्रम आकार उन्होंने श्रध्दा पूर्वक हवन किया और निःस्वार्थ भाव से दान किया तब उन्हें जो आतंरिक सुख प्राप्त हुआ वो कभी पहले किसी भी दान से नहीं हुआ था।

Moral Of The Story:

दान का स्वरूप दिखावा नहीं होता जब तक निःस्वार्थ भाव से दान नहीं दिया जाता तब तक वह स्वीकार्य नहीं होता और दानी को आत्म-शांति अनुभव नहीं होती।

किसी की मदद करके भूल जाना ही दानी की पहचान है, जो इस कार्य को उपकार मानता है असल में वो दानी नहीं हैं ना उसे दान का अर्थ पता है।

एक सत्संगी और तीन डाकू | भगवान पर विश्वास | Ek Satsangi aur teen daaku | Bhagwan par Visvash | Believe in God | Santmat Satsang

|| प्रेरक प्रसंग ||

एक सत्संगी था। उसका भगवान पर बहुत ज्यादा विश्वास था। वो बहुत साधन- भजन भी अच्छे से करता था। सत्संग में जाकर सेवा भी देता था। उस पर गुरुजी की इतनी कृपा थी कि उसका साधना पर बैठते ही ध्यान लग जाता था।

एक दिन उसके घर अचानक से तीन डाकू आ गए और उसके घर का काफी सामान लूट लिया और जब जाने लगे तो सोचा कि इनको मार देना चाहिए नहीं तो ये लोगों को बताएगा।
ये सुनकर वे सत्संगी घबड़ा गया और कहने लगा तुम मेरे घर का सारा सामान, नकद, जेवर सबकुछ ले जाओ लेकिन मुझे मत मारो।

उन लुटेरों ने उसकी एक न सुनी और बन्दूक उसके सिर पर रख दी। सत्संगी बहुत रोया, गिड़गिड़ाया कि मुझे मत मारो, लेकिन लुटेरे मारने पर उतारू था।

तभी सत्संगी ने डाकुओं से कहा कि मेरी आखिरी इच्छा पूरी कर दो। लुटेरों ने उनकी इच्छा जाना और फिर कहा कि ठीक है।

सत्संगी फ़ौरन कुछ देर के लिए ध्यान पर बैठ गया। उसने अपने गुरु को याद किया ऒर थोड़ी ही देर में गुरुजी ने उसे दर्शन दिए और दिखाया कि पिछले तीन जन्मों में तुमने इन लुटेरों को एक एक करके मारा था।

आज वो तीनों एक साथ तुम्हें मारने आया है, और मैं चाहता हूँ तुम तीनों जन्मों का भुगतान इसी जन्म में कर दो।
ये सुनकर सत्संगी उठ खड़ा हुआ और लुटेरे की बन्दूक अपने सर पर रख के हस्ते हुए बोला कि अब मुझे मार दो। अब मुझे मरने की कोई परवाह नहीं है।

ये सुनकर लुटेरे हैरान हो गए और सोचा कि अभी तो ये रो रहा था कि मुझे मत मारो और अब इसे इतनी ही देर में क्या हो गया।  उन्होंने उस सत्संगी से पूछा कि आखिर इतनी सी देर में ऐसा क्या हुआ कि तुम खुशी से मरना चाह रहे हो ??

उस सत्संगी ने सारी बात लुटेरों को बता दी। उनकी बात सुनकर लुटेरों ने अपना हथियार सत्संगी के पैरों में डाल दिए और हाथ जोड़कर विनती करने लगे कि हम तुम्हें नही मारेंगे बस इतना बता दो कि तुम्हारे गुरु कौन हैं।

सत्संगी ने अपने गुरुजी के बारे में बता दिया। उसके बाद वो लोग भी सब कुछ छोड़कर सत्संगी बन गए।

दोस्तों!
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि गुरु हर हाल में हर पल हमारी रक्षा करता है दुःख भी देता है तो हमारे भले के लिए इसलिए हर पल उस गुरु का शुक्र अदा करना चाहिए फिर चाहे वो परम पिता जिस हाल में भी रखे।
🙏🙏|| जय गुरु ||🙏🙏

ईश्वर में प्रेम | सदा ईश्वर में प्रेम रखो | सत्संग भजन करते रहो इसी में कल्याण है | Maharshi Mehi | Santmat Satsang | यहाँ सब कोई मुसाफिर हैं, फिर भी कहते हैं कि मेरा घर है।

ईश्वर में प्रेम  प्यारे लोगो!  संतों की वाणी में दीनता, प्रेम, वैराग्य, योग भरे हुए हैं। इसे जानने से, पढ़ने से मन में वैसे ही विचार भर जाते...