एक सत्संगी और तीन डाकू | भगवान पर विश्वास | Ek Satsangi aur teen daaku | Bhagwan par Visvash | Believe in God | Santmat Satsang

|| प्रेरक प्रसंग ||

एक सत्संगी था। उसका भगवान पर बहुत ज्यादा विश्वास था। वो बहुत साधन- भजन भी अच्छे से करता था। सत्संग में जाकर सेवा भी देता था। उस पर गुरुजी की इतनी कृपा थी कि उसका साधना पर बैठते ही ध्यान लग जाता था।

एक दिन उसके घर अचानक से तीन डाकू आ गए और उसके घर का काफी सामान लूट लिया और जब जाने लगे तो सोचा कि इनको मार देना चाहिए नहीं तो ये लोगों को बताएगा।
ये सुनकर वे सत्संगी घबड़ा गया और कहने लगा तुम मेरे घर का सारा सामान, नकद, जेवर सबकुछ ले जाओ लेकिन मुझे मत मारो।

उन लुटेरों ने उसकी एक न सुनी और बन्दूक उसके सिर पर रख दी। सत्संगी बहुत रोया, गिड़गिड़ाया कि मुझे मत मारो, लेकिन लुटेरे मारने पर उतारू था।

तभी सत्संगी ने डाकुओं से कहा कि मेरी आखिरी इच्छा पूरी कर दो। लुटेरों ने उनकी इच्छा जाना और फिर कहा कि ठीक है।

सत्संगी फ़ौरन कुछ देर के लिए ध्यान पर बैठ गया। उसने अपने गुरु को याद किया ऒर थोड़ी ही देर में गुरुजी ने उसे दर्शन दिए और दिखाया कि पिछले तीन जन्मों में तुमने इन लुटेरों को एक एक करके मारा था।

आज वो तीनों एक साथ तुम्हें मारने आया है, और मैं चाहता हूँ तुम तीनों जन्मों का भुगतान इसी जन्म में कर दो।
ये सुनकर सत्संगी उठ खड़ा हुआ और लुटेरे की बन्दूक अपने सर पर रख के हस्ते हुए बोला कि अब मुझे मार दो। अब मुझे मरने की कोई परवाह नहीं है।

ये सुनकर लुटेरे हैरान हो गए और सोचा कि अभी तो ये रो रहा था कि मुझे मत मारो और अब इसे इतनी ही देर में क्या हो गया।  उन्होंने उस सत्संगी से पूछा कि आखिर इतनी सी देर में ऐसा क्या हुआ कि तुम खुशी से मरना चाह रहे हो ??

उस सत्संगी ने सारी बात लुटेरों को बता दी। उनकी बात सुनकर लुटेरों ने अपना हथियार सत्संगी के पैरों में डाल दिए और हाथ जोड़कर विनती करने लगे कि हम तुम्हें नही मारेंगे बस इतना बता दो कि तुम्हारे गुरु कौन हैं।

सत्संगी ने अपने गुरुजी के बारे में बता दिया। उसके बाद वो लोग भी सब कुछ छोड़कर सत्संगी बन गए।

दोस्तों!
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि गुरु हर हाल में हर पल हमारी रक्षा करता है दुःख भी देता है तो हमारे भले के लिए इसलिए हर पल उस गुरु का शुक्र अदा करना चाहिए फिर चाहे वो परम पिता जिस हाल में भी रखे।
🙏🙏|| जय गुरु ||🙏🙏

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