इस शरीर में विशेष बात क्या है?
विशेष बात इस शरीर में क्या है? इसमें साधनों का धाम और मोक्ष का द्वार है। समूचा शरीर द्वार नहीं है। इस शरीर में नौ द्वार हैं। यह जो नौ द्वार हैं, इनमें से कोई द्वार मोक्ष का द्वार नहीं है।
संतवाणी से पता चलता है कि जो नौ द्वार वाले शरीर में रहते हैं, वे संसार में दौड़ते रहते हैं। इस शरीर में दसवां द्वार भी है। उस द्वार से गमन करो, तो निज घर में पहुंच जाओगे। यह शरीर स्थूल घर है। संत जो कहते हैं कि इसमें दशम द्वार है यह बहुत कम लोग जानते हैं। बाहर से अपने को समेटकर अंतर प्रविष्ट होकर अंतर्मुखी जहां तक होना होता है, वही दसवां द्वार है। यह दसवां द्वार ही मोक्ष का द्वार है। इसमें शरीर नहीं जाता, मन अवश्य जाता है। यह इस बार की विलक्षणता है। दसवें द्वार को योगियों के यहां आज्ञाचक्र कहा जाता है। यही है अन्तर्ज्योति और अन्तर्नाद का द्वार। -संत सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस
संकलन: शिवेन्द्र कुमार मेहता, गुरुग्राम

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